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पश्चाताप की घड़ी

पश्चाताप की घड़ी - यीशु मसीह मुसलमानों के लिए - Hindi Evangelism - Hindi Sermons

यहोवा एक सर्वशक्तिमान, सब कुछ जानने वाल ख़ुदा है और वह जानता है कि हमारे लिए क्या अच्छा है। उसने हमारे लिए कभी भी कोई अन्यायपूर्ण निर्णय नहीं लिया है और न ही कभी अन्यायपूर्ण आदेश दिया है। परमेश्वर यहोवा हमेशा सही होता है। और अगर वह हम से हमारे पापों का पश्चाताप करने को कहता है तो वह भी सही ही कहता है।

  • लूका 13:3 – नहीं, मैं तुम्हें बताता हूँ, यदि तुम मन नहीं फिराओगे तो तुम सब भी वैसी ही मौत मरोगे जैसी वे मरे थे।
  • प्रेरितों के काम 17:30 – ऐसे अज्ञान के युग की परमेश्वर ने उपेक्षा कर दी है और अब हर कहीं के मनुष्यों को वह मन फिरावने का आदेश दे रहा है।

परमेश्वर का सुसमाचार कहता है कि हम सब प्रकृति से पापी हैं (रोमियों 3:23, भजन संहिता 51:5) और उन पापों से शुद्धि का केवल एक ही रास्ता है कि हम अपने पापों का पश्चाताप करें और अपने उद्धार के लिए यीशु मसीह की शरण लें।

  • इब्रानियों 7:25 – अतः जो उसके द्वारा परमेश्वर तक पहुँचते हैं, वह उनका सर्वदा के लिए उद्धार करने में समर्थ है क्योंकि वह उनकी मध्यस्थता के लिए ही सदा जीता है।

कभी कभी लोगों को डर सताता है कि उन्होंने कुछ ऐसे पाप किये हैं जिनकी कोई माफ़ी नहीं है। लेकिन ऐसा केवल उन्हीं पापों के लिए होता है जिनके लिए हम पश्चाताप न करें। लेकिन अगर हम पूरी तरह से पाप से दूर होने के लिए तैयार हैं और परमेश्वर के सुसमाचार के अनुसार माफी के लिए यीशु के पास आते हैं तो वह हमें पूरी तरह से बचाने में सक्षम है।

कभी कभी परमेश्वर के बताये रास्ते पर चलने के बावजूद भी कुछ लोगों की रूह बेचैन रहती है। उन्हें डर रहता है कि माफ़ी मिलने के बावजूद उन्हें दंडित किया जाएगा। यह सच है कि कभी कभी हम अपने पापों के परिणाम को सारा जीवन बोझ की तरह अपने कन्धों पर लाद कर चलते हैं और उन्हें हमेशा इस बात का पछतावा होता है कि उन्होंने वह पाप क्यों किया था। मगर जान लीजिए कि अगर एक बार आपके परमेश्वर ने उस पाप की माफ़ी दे दी तो आप के ऊपर कोई बोझ नहीं रह जाता है। सच्चे दिल से पछतावा करने और उस पाप की माफ़ी मिलने के बाद परमेश्वर की नज़र में आप अपराधी नहीं हैं।

  • रोमियों 8:1 – इस प्रकार अब उनके लिये जो यीशु मसीह में स्थित हैं, कोई दण्ड नहीं है।

आपको और मुझे यीशु मसीह के माध्यम से उद्धार की ज़रुरत है। ब्रह्माण्ड में कोई अन्य शक्ति हमें पाप से नहीं बचा सकती। उसके बिना हम शक्तिहीन हैं। केवल उसकी शक्ति ही हमारे सभी पापों के अनन्त परिणामों से हम सब को बचा सकती है। लेकिन उसके लिए यह ज़रूरी है कि सब से पहले हम पश्चाताप करें और यीशु मसीह के सामने आत्मसमर्पण करें।