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कैसे मैंने यीशु मसीह को अपनाया – एक मुस्लिम लड़की का दिल को छू जाने वाला अनुभव

कैसे मैंने मसीह को अपनाया - मुस्लिम लड़की का दिल छू जाने वाला अनुभव - Hindi Christian Website

एक मुसलमान के लिए इस्लाम से ईसाई धर्म तक का सफ़र कभी भी आसान नहीं होता है ख़ास तौर पर जब जीवन में यह परिवर्तन एक इस्लामी देश में आये जहाँ परिवार और समाज के हाथों उत्पीड़न और मौत का साफ़ साफ़ डर हो। लेकिन फिर भी बहुत से लोग यीशु मसीह के प्यार के लिए यह जोखिम लेने और अपनी ज़िन्दगी को दाँव पर लगाने से भी पीछे नहीं हटते। अनीला यीशु के उन चंद शिष्यों में से एक है जो अपनी आस्था के लिए सब कुछ त्याग देते हैं। लेकिन अनीला को गर्व है यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में चुनने के फ़ैसले पर। हालांकि अनीला को अपनी मातृभूमि से भागना पड़ा, उसने अपना परिवार, दोस्त और संपत्ति आदि को खो दिया, लेकिन उसने एक झूठे और पाप से भरे पाखंडी मुस्लिम जीवन को जीने के बजाये यीशु को प्यार करने और उसके सामने आत्मसमर्पण करने को तरजीह दी।

मसीह को स्वीकार करने के परिणाम में अनीला को अपमान, भेदभाव, बहिष्कार, शारीरिक और मानसिक यातना का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने वह सब सहन किया इस आशा के साथ कि उसका उद्धारकर्ता उसकी रक्षा करेगा और वास्तव में वैसा ही हुआ। यीशु ने न सिर्फ अनीला को पाकिस्तान के इस्लामी समाज के क्रूर लोगों के अत्याचार से बचाया बल्कि उसे पाकिस्तान से बाहर भी निकाला। आज अनीला थाईलैण्ड में सुरक्षित है जहाँ वह निर्वासन में शरणार्थी के रूप में रहती है। यीशु परमेश्वर अपने फ़रिश्तों के माध्यम से विदेश में भी अनीला की ज़रूरतों को पूरा कर रहा है। हम प्रार्थना करते हैं कि अनीला सदैव यीशु के संरक्षण में सुरक्षित रहे और उसकी दिल को छू जाने वाली गवाही के माध्यम से हज़ारों लाखों भटके हुए मुसलमान यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में अपनायें। आमीन।